'पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस वन' पत्रिका के मुताबिक फिंसटोर्म का कहना है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मधुमक्खियां अपनी कॉलोनी सुरक्षित रखना चाहती हैं।
फफूंद के संक्रमण की स्थिति में मधुमक्खियां प्रोपोलिस (पौधों में पाए जाने वाले रेजिन व मोम का मिश्रण) से अपना बचाव करती हैं। इसमें फफूंद व बैक्टीरिया संक्रमण से बचाने का गुण होता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक जब संक्रमण का खतरा बढ़ता है तो मधुमक्खियां प्रोपोलिस का संग्रह 45 प्रतिशत तक बढ़ा देती हैं।
इसके साथ ही मधुमक्खियां संक्रमित लार्वा को अपनी कॉलोनी से हटा देती हैं। यदि संक्रमित लार्वा मौजूद रहेंगे तो वहां फफूंद तेजी से विकसित हो सकती है।
प्रोपोलिस एक प्रभावकारी फफूंद विरोधी कारक है। इससे संक्रमण की दर कम हो जाती है।
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